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Nag Panchami Special Panchami

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Nag Panchami Special Panchami

नाग पंचमी का त्योहार 29 जुलाई, 2025 को मनाया जाएगा। यह त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन कुछ राज्यों में इसे अलग-अलग तिथियों पर मनाने की परंपरा है।

मुख्य रूप से, नाग पंचमी सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है।

विभिन्न राज्यों में नाग पंचमी का त्योहार मनाने की तिथियां:

महाराष्ट्र:

महाराष्ट्र में, नाग पंचमी 29 जुलाई, 2025 को मनाई जाएगी।

उत्तर प्रदेश:

उत्तर प्रदेश में भी नाग पंचमी 29 जुलाई, 2025 को मनाई जाएगी।

राजस्थान:

राजस्थान में भी नाग पंचमी 29 जुलाई, 2025 को मनाई जाएगी।

गुजरात:

गुजरात में, नाग पंचमी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। Indian Express says 2024 में यह त्योहार 24 अगस्त को मनाया गया था, और 2025 में यह 14 अगस्त को मनाया जाएगा।

अन्य राज्य:

अन्य राज्यों में भी, नाग पंचमी आमतौर पर सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में तिथियों में थोड़ा अंतर हो सकता है।

ध्यान दें:

नाग पंचमी की तिथि चंद्र गणना के अनुसार निर्धारित होती है, इसलिए यह हर साल अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अलग-अलग तिथियों पर पड़ती है।

कुछ क्षेत्रों में, नाग पंचमी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त भी निर्धारित होते हैं, जिनका पालन किया जाता है।

नाग पंचमी, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है, और इसे वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है, और माना जाता है कि इससे कालसर्प दोष और अन्य विषैले जीवों के भय से मुक्ति मिलती है।

नाग पंचमी का महत्व:

कालसर्प दोष निवारण:

जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उनके लिए नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।

सर्प भय से मुक्ति:

नाग पंचमी पर नागों की पूजा करने से विषैले सांपों के भय से मुक्ति मिलती है।

सुख-समृद्धि:

इस दिन नागों की पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

भगवान शिव की कृपा:

नाग पंचमी पर भगवान शिव और नागों की पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

नाग पंचमी पर पूजा विधि:

  1. स्नान:

नाग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।

  1. व्रत का संकल्प:

व्रत का संकल्प लें और नाग देवता का ध्यान करें।

  1. पूजा:

भगवान शिव और नागों की विधिवत पूजा करें।

दूध, फूल, और मिठाई चढ़ाएं: नाग देवता को दूध, फूल और मिठाई चढ़ाएं।

मंत्र जाप: ॐ नमः शिवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।

सर्प गायत्री मंत्र का जाप: कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति सर्प गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं।

  1. दान:

इस दिन गरीबों को दान देना भी शुभ माना जाता है।

अन्य महत्वपूर्ण बातें:

कालसर्प दोष निवारण के उपाय:

कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति चांदी या तांबे का सांप का जोड़ा लेकर शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं।

नाग पंचमी पर क्या न करें:

नाग पंचमी के दिन जमीन में खुदाई या किसी भी तरह की नुकीली चीज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

सांपों को दूध पिलाने से बचें, क्योंकि यह उनके लिए हानिकारक हो सकता है।

कुछ क्षेत्रों में विशेष रिवाज:

कुछ क्षेत्रों में नाग पंचमी पर सांपों की रंगोली बनाई जाती है और उनकी पूजा की जाती है।

नाग पंचमी का पर्व हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो नागों के प्रति सम्मान और उनकी सुरक्षा का प्रतीक है।नाग पंचमी, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है, और इसे वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है, और माना जाता है कि इससे कालसर्प दोष और अन्य विषैले जीवों के भय से मुक्ति मिलती है।

नाग पंचमी का महत्व:

कालसर्प दोष निवारण:

जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उनके लिए नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।

सर्प भय से मुक्ति:

नाग पंचमी पर नागों की पूजा करने से विषैले सांपों के भय से मुक्ति मिलती है।

सुख-समृद्धि:

इस दिन नागों की पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

भगवान शिव की कृपा:

नाग पंचमी पर भगवान शिव और नागों की पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

नाग पंचमी पर पूजा विधि:

  1. स्नान:

नाग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।

  1. व्रत का संकल्प:

व्रत का संकल्प लें और नाग देवता का ध्यान करें।

  1. पूजा:

भगवान शिव और नागों की विधिवत पूजा करें।

दूध, फूल, और मिठाई चढ़ाएं: नाग देवता को दूध, फूल और मिठाई चढ़ाएं।

मंत्र जाप: ॐ नमः शिवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।

सर्प गायत्री मंत्र का जाप: कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति सर्प गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं।

  1. दान:

इस दिन गरीबों को दान देना भी शुभ माना जाता है।

अन्य महत्वपूर्ण बातें:

कालसर्प दोष निवारण के उपाय:

कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति चांदी या तांबे का सांप का जोड़ा लेकर शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं।

नाग पंचमी पर क्या न करें:

नाग पंचमी के दिन जमीन में खुदाई या किसी भी तरह की नुकीली चीज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

सांपों को दूध पिलाने से बचें, क्योंकि यह उनके लिए हानिकारक हो सकता है।

कुछ क्षेत्रों में विशेष रिवाज:

कुछ क्षेत्रों में नाग पंचमी पर सांपों की रंगोली बनाई जाती है और उनकी पूजा की जाती है।

नाग पंचमी का पर्व हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो नागों के प्रति सम्मान और उनकी सुरक्षा का प्रतीक है।

श्रावण मास में ही पूजा क्यों?

श्रावण मास में सूर्य आश्लेषा नक्षत्र में होता है, जिसका स्वामी सर्प है. इस नक्षत्र में सूर्य के होने के कारण नाग देवता की पूजा की जाती है. इस समय वर्षा के कारण कृषि में नुकसान पहुंचाने वाले कीट उत्पन्न होते हैं, जिनका नियंत्रण सर्प करते हैं, इसलिए नाग पूजा का यह समय कृषि के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है.श्रावण मास में ही पूजा क्यों?

श्रावण मास में सूर्य आश्लेषा नक्षत्र में होता है, जिसका स्वामी सर्प है. इस नक्षत्र में सूर्य के होने के कारण नाग देवता की पूजा की जाती है. इस समय वर्षा के कारण कृषि में नुकसान पहुंचाने वाले कीट उत्पन्न होते हैं, जिनका नियंत्रण सर्प करते हैं, इसलिए नाग पूजा का यह समय कृषि के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है.

नाग देवता अश्लेषा नक्षत्र के देवता हैं। इसके साथ ही, नागों को कुलदेवता के रूप में भी पूजा जाता है और भगवान शिव के गले का हार माना जाता है।

अश्लेषा नक्षत्र के स्वामी बुध हैं और इस नक्षत्र के देवता नागदेव हैं। इसके अतिरिक्त, नागदेवता को भगवान शिव का आभूषण भी माना जाता है।

नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन नागों की पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

कोनसे जन्म चंद्र नक्षत्र के लिए अश्लेषा नक्षत्र फैदामंद है और अश्लेषा नक्षत्र सक्रियता नागपूजा सेहोता है तो कौनसी नक्षत्र (चंद्र नक्षत्र) को फैदा है II

नक्षत्रों के नाम और देवता —-

१-अश्विनी नक्षत्र के देवता अश्विनी कुमार जी और स्वामी केतु हैं !

२-भरणी नक्षत्र के देवता यमराज जी और स्वामी शुक्र हैं !

3-कृत्तिका नक्षत्र के देवता अग्नि देव जी और स्वामी सूर्य है !

४-रोहिणी नक्षत्र के देवता ब्रह्मा जी और स्वामी चन्द्रमा है !

५-मृगशिरा नक्षत्र के देवता चन्द्रमा जी और स्वामी मंगल है !

६-आर्द्रा नक्षत्र के देवता शिव जी और स्वामी राहु हैं !

७-पुनर्वसु नक्षत्र के देवता अदिति माता जी और स्वामी गुरु हैं !

८-पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति देव जी और स्वामी शनि हैं !

आश्लेषा नक्षत्र के देवता नागदेव जी और स्वामी बुध हैं !

१०-मघा नक्षत्र के देवता पितृदेव जी और स्वामी केतु हैं !

११-पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के देवता भग देव जी और स्वामी शुक्र हैं !

१२-उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के देवता अर्यमा देव जी और स्वामी सूर्य हैं !

१३-हस्त नक्षत्र के देवता सूर्य देव जी और स्वामी चन्द्रमा हैं !

१४-चित्रा नक्षत्र के देवता विश्वकर्मा जी और स्वामी मंगल हैं !

१५-स्वाति नक्षत्र के देवता पवन देव जी और स्वामी राहु हैं !

१६-विशाखा नक्षत्र के देवता इन्द्र देव एवं अग्नि देवजी और स्वामी गुरु हैं !

१७-अनुराधा नक्षत्र के देवता मित्र देव जी और स्वामी शनि हैं !

१८-ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इन्द्र देव जी और स्वामी बुध हैं !

१९-मूल नक्षत्र के देवता निरिती देव जी और स्वामी केतु हैं !

२०-पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के देवता जल देव जी और स्वामी शुक्र हैं !

२१-उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के देवता विश्वेदेव जी और स्वामी सूर्य हैं !

२२-श्रवण नक्षत्र के देवता विष्णु जी और स्वामी चन्द्र हैं !

२३-धनिष्ठा नक्षत्र के देवता अष्टवसु जी और स्वामी मंगल हैं !

२४-शतभिषा नक्षत्र के देवता वरुण देव जी और स्वामी राहु हैं !

२५-पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता अजैकपाद देव जी और स्वामी गुरु हैं !

२६-उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के देवता अहिर्बुध्न्य देवजी और स्वामी शनि हैं

२७-रेवती नक्षत्र के देवता पूषा [सूर्य ]देव जी और स्वामी बुध है

The Nine Tara in this Nav-tara chakra  Their  Importnce here as Below

  • Janma Tara – There are three lunar mansions in this. The Janma (birth star) Nakshatra, The 10th from the Janmanakshatra this lunar mansion is also called Karnanakshatra. The 19th from the Janmanakshatra – this is called the Adhananakshatra..
  • Sampat Tara – Count the 2nd, 11th and the 20th Nakshatras counted from your Janmanakshatra constitute this Tara
  • Vipat Tara – Count the 3rd, 12th and the 21st lunar mansions from the Janmanakshatra.
  • Kshema Tara – The 4th, the 13th and the 22nd Nakshatras counted from the Janmanakshatra constitute this Tara.
  • Pratyari Tara – Pratyak means opposition. The 5th, 14th, and the 23rd Nakshatra counted from the Janmanakshatra.
  • Sadhaka Tara – The 6th, the 15th, and the 24th Nakshatra counted from Janmanakshatra.
  • Vadha / Naidhana Tara – The 7th the 16th and the 25th Nakshatras counted from the Janmanakshatra. Planets at birth or in transit here give unfavourable results.
  • Mitra Tara – The 8th, 17th and 26th nakshatras counted from the Janmanakshatra.
  • Ati-Mitra Tara – The 9th, the 18th and the 27th nakshatras counted from Janmanakshatra constitute this Tara.

 

SEE  THE NAKSHTRA NAM  AND DEVTA CHART TO UNDERSTAND THIS I NAGPANCHAMI POOJA WILL GIVE GOOD RESULTS TO YOU AS PER YOUR  JANMA CHANDRA NAKSHTRA

 

  • If your Janma Chandra Nakshtra is ASHWINI than for you  the Ashlesha is 9th Nakshtra and so ATIMITRA Tara Nakshtra ,Nagpanchami Pooja very Important for you
  • If your Janma Chandra Nakshtra is BHARNI than for you the Ashlesha is 8th Nakshtra and so MITRA Tara Nakshatra Nagpanchami Pooja very  Important for you
  • If your Janma Chandra Nakshtra is KRITIKA than for you the Ashlesha is 7 th Nakshtra and so VADH Tara Nakshtra Nagpanchami Pooja  NOT Important & Favourable for you
  • If your Janma Chandra Nakshtra is ROHINI than for you  the Ashlesha is 6th Nakshtra and so SADHAK Tara Nakshtra Nagpanchami Pooja is very  Important for you
  • If your Janma Chandra Nakshtra is MRIGSHIRA than for you  the Ashlesha is 5th Nakshtra and so PRATIHARI Tara Nakshtra ,Nagpanchami Pooja  NOT Important  & Favourable for you
  • If your Janma Chandra Nakshtra is ARDRA than for you  the Ashlesha is 4th Nakshtra and so KSHEM Tara Nakshtra Nagpanchami Pooja very Important & Favourable for you
  • If your Janma Chandra Nakshtra is PUNARVASU than for you the Ashlesha is 3rd Nakshtra and so VIPAT Tara Nakshtra Nagpanchami Pooja NOT Important & Favourable for you
  • If your Janma Chandra Nakshtra is PUSHYA than for you the Ashlesha is 2rd Nakshtra and so SAMPAT Tara Nakshtra Nagpanchami Pooja VERY Important for you
  • If your Janma Chandra Nakshtra is PUSHYA than for you the Ashlesha is 2rd Nakshtra and so SAMPAT Tara Nakshtra Nagpanchami Pooja VERY Important for you
  • If your Janma Chandra Nakshtra is ASHLESHA than for you the Ashlesha is the Nakshtra and so JANMA Tara Nakshtra Nagpanchami Pooja VERY Important  for you
  • Now from above analysis We can Understand that for Chandra Nakshtra MAGHA the ASHLESHA is (27th) & from  MOOLA  Ashelsha is (18th )  the ASHLESHA  is ATIMITRA Nakshatra   and so NAGPANCHMI Pooja is VERY Important
  • Now from above analysis  We can Understand that for Chandra Nakshtra PURVAPHALGUNI the ASHLESHA is (26th)& from PURVASHADHA it is  (17th)  the ASHLESHA  is MITRA   Nakshatra   and so NAGPANCHMI Pooja is VERY Important
  • Now from above analysis We can Understand that for Chandra Nakshtra UTTTARA PHALGUNI the ASHLESHA  is (25th) & from UTTARASHADHA  the ASHLESHA is (16th )  so the ASHLESHA is VADH TARA Nakshatra and so NAGPANCHMI Pooja is NOT Important  & Favourable
  • Now from above analysis  We can Understand that for Chandra Nakshtra HASTA the ASHLESHA is (24th)& from SRAVAN it is  (15th)  so the ASHLESHA  is SADHAKTARA   Nakshatra   and so NAGPANCHMI Pooja is VERY Important
  • Now from above analysis We can Understand that for Chandra Nakshtra CHITRA the ASHLESHA is (23rd) & from DHANISTHA the ASHLESHA is (14th ) so the ASHLESHA is PRATYARI TARA Nakshatra and so NAGPANCHMI Pooja is NOT Important  & Favourable
  • Now from above analysis We can Understand that for Chandra Nakshtra SWATI the ASHLESHA is (22th) & from SHATABHISHA it is(13th) so the ASHLESHA is KSHEM TARA Nakshatra and so NAGPANCHMI Pooja is VERY Important
  • Now from above analysis We can Understand that for Chandra Nakshtra VISHAKHA the ASHLESHA is (21st) & from PURVABHADRAPADA the ASHLESHA is (12th ) so the ASHLESHA is VIPAT TARA Nakshatra and so NAGPANCHMI Pooja is NOT Important & Favourable
  • Now from above analysis We can Understand that for Chandra Nakshtra ANURADHA the ASHLESHA is (20th) & from UTTARABHADRAPADA it is(11th) so the ASHLESHA is SAMPAT TARA Nakshatra and so NAGPANCHMI Pooja is VERY Important
  • Now from above analysis We can Understand that for Chandra Nakshtra JYESTHA the ASHLESHA is (19th) & from REVTI it is(10th) so the ASHLESHA is JANMA TARA Nakshatra and so NAGPANCHMI Pooja is VERY Important

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